Frangipani Flower In Hindi | चंपा का फूल और पौधे की पूरी जानकारी » Only My Fitness

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Frangipani in Hindi – Frangipani flower जिसे plumeria के नाम से भी जाना जाता है। यह फूल दिखने में काफी ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत होता है। जिसे हिंदी में गुलचीन और चंपा फूल के नाम से भी जाना जाता है।

इसका उपयोग आमतौर पर बगीचे में या मंदिरों के आसपास खूबसूरत और सुगंधित फूल पाने के लिए लगाते हैं। जिसके बारे में पूरी जानकारी पाने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं। इस Frangipani flower in Hindi के बारे में पूरी जानकारी।

What is Frangipani in Hindi | फ्रांगीपानी क्या है?

Frangipani Flower in Hindi

Frangipani इस पौधे के सामान्य नाम है। इसे और भी कई तरह के नामों जैसे Champa, plumeria, Frangipani, Gulchin आदि से जाना जाता है।

Frangipani के फूल दिखने में काफी ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक होता है। जो आकार में छोटा और रंग में सफेद और पीले केंद्र वाली होती है। जो काफी ज्यादा सुगंधित भी होती है।

Frangipani के फूल पांच पंखुड़ियों वाली होती है। जो गुछो में खिलती है। इसके अलावा इसके कुछ गुलाबी रंग के भी फूल होते हैं। जो कभी कबार बहुत ही कम देखने को मिलते हैं।

इसके पेड़ की बात करें, तो इसका पेड़ लगभग 4.5 मीटर ऊंचा सदाबहार पेड़ होता है। जिसका फूल और फल पूरे साल भर फलता फूलता है और इसके पत्ते की बात करें तो इसके पत्ते आकार में बड़े जो लगभग 6 से 22 सेंटीमीटर लंबे एवं 2 से 7 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं। जिसके आगे की हिस्सा नुकीला और ऊपरी सतह चमकदार होती है।

और इसके फल की बात करें तो इसके फल रेखित, बड़े अथवा नुकीले होते हैं। जिनके अंदर बीज होते है और इन बीजों में थोड़ी रुआ भी पाया जाता है। जब यह फल पक जाता है, तो बिच से अपने आप खुल जाता है।

Frangipani का scientific name Plumeria हैं । जो Apocynaceae (एपोसाइनेसी) कुल से संबंधित रखता है।

Uses of Frangipani in Hindi | फ्रांगीपानी के उपयोग

1. फ्रांगीपानी के फूलों का उपयोग बगीचों को सजाने एवं मंदिरों के आसपास पूजा के लिए लगाया जाता है।

2. इसके अलावा सफेद फ्रांगीपानी फूलों का उपयोग माला बनाने के लिए भी किया जाता है। जिसका उपयोग कर्नाटक के पश्चिमी घाटों में शादियों में दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे से माला आदान प्रदान करने के लिए करते हैं।

3. फ्रांगीपानी के फूलों का उपयोग सजाने पूजा पाठ करने के अलावा इसका उपयोग आयुर्वेद में औषधि बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

4. आयुर्वेद में फ्रांगीपानी का उपयोग इसके जड़, जड़ की छाल, तना की छाल, शाखाएँ, फूल एवं दूध को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

5. ये सब के अलावा फ्रांगीपानी का उपयोग तेल एवं इत्र बनाने के लिए भी किया जाता है।

फ्रांगीपानी के फायदे | Benefits of Frangipani in Hindi

1. खुजली या घाव आदि होने पर इसकी जड़ को पीसकर लगाने पर लाभ मिलता है।

2. सूजन की समस्या होने पर चंपा के पेड़ की छाल को पीसकर लगाने से सूजन दूर होता है।

3. वैजाइना में किसी भी तरह से हो रही दर्द को दूर करने के लिए फ्रांगीपानी के जड़ की छाल को पीसकर लगा सकते हैं। जो काफी फायदेमंद होता है।

4. बढ़ती उम्र के साथ साथ हो रही जोड़ों में दर्द की समस्या के लिए फ्रांगीपानी के छाल को पीसकर लगाने से काफी फायदा मिलता है।

5. पाइल्स के मस्सों में फ्रांगीपानी के पत्तों को पीसकर लेप बनाकर या फ्रांगीपानी के तने से निकाली गई दूध को पाइल्स के मस्सों में लगाने से काफी फायदा मिलता है।

चंपा का पौधा घर पर कैसे लगाएं

चंपा का पौधा एक बहुत ही अद्भुत औषधि के साथ खूबसूरत और सुगंधित फूलों वाला एक पौधा है। जिसे लगाने के लिए आप इसके बीज या कलम का उपयोग कर सकते हैं।

इसके अलावा आप इसे किसी नर्सरी से खरीद कर भी ला सकते हैं और लगा सकते हैं। तो आइए जानते हैं। चंपा के पौधे को घर पर कलम या इसके बीज से कैसे लगा सकते हैं।

चंपा का पौधा बीज से कैसे लगाएं

1. चंपा का पौधा बीज से लगाने के लिए सबसे पहले इसके बीज को खरीद कर लाए, खरीदने के लिए आप इसे बाजार या ऑनलाइन में खरीद सकते हैं।

2. बिज लाने के बाद इसे किसी टिशू पेपर पर रख दे। और ऊपर से पानी का छिड़काव कर दें ताकि बीज लगाने के लिए नरम हो जाए।

3. अब साधारण मिट्टी, वर्मी कंपोस्ट और कोकोपीट को मिक्स करके किसी गमले में भर दें।

4. अब इन बीजों को 1 से 2 इंच की गहराई पर गमले में लगा दें।

5. यह बीज 15 से 30 दिन के अंदर अंकुरित हो जाएंगे। जिसे बड़े होने के बाद निकाल कर किसी भी अलग बड़े गमले में लगा सकते हैं।

चंपा का पौधा कटिंग से कैसे लगाएं

1. चंपा का पौधा कटिंग से लगाने के लिए सबसे पहले से इसके कटिंग की जरूरत होगी। जिसे आप इसके बड़े पेड़ से निकाल सकते हैं।

2. जिसमें आपको एक से डेढ़ फिट का कटिंग ले सकते हैं, और ध्यान रखें इसके कटिंग से सफेद रंग दूध निकलता है। जो आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इस दूध से बचे रहें और सावधानीपूर्वक कटिंग निकाले।

3. हो सके तो दो-चार अधिक कटिंग निकालने। ताकि कुछ पौधे मर जाए तो कुछ जीवित बच सकें।

4. कटिंग निकालने के बाद 3 दिन से 4 दिन सुखा लें। ताकि इससे निकलता हुआ दूध निकलना अच्छे से बंद हो जाए।

5. यदि आप कटिंग निकालने के बाद तुरंत 2 से 3 घंटे बाद ही पौधे को लगाना चाहते हैं। तो उसके लिए आपको एंटीफंगल पाउडर की जरूरत पड़ेगी, तब जाकर आप इसे आसानी से लगा सकते हैं। जिससे पौधे में फंगल का अटैक ना हो

6. अब इन कटिंग को लाएं और कटिंग किए गए निशान के नीचे की भाग की ओर पानी में भिगो दें। ताकि एंटीफंगल पाउडर आसानी से लग पाए।

7. और यदि आप कटिंग को तीन से चार दिन सुखाकर पौधा लगाते हैं। तो उसमें किसी भी प्रकार की एंटीफंगल पाउडर की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन अगर फिर भी आप एंटीफंगल पाउडर उसमें लगाना चाहते हैं। तो लगा सकते हैं।

8. अब इसके मिट्टी के लिए 80% बगीचे की सधारण मिट्टी और 20% वर्मीकंपोस्ट मिलाकर एक बड़े गमले में भर दे।

9. मिट्टी तैयार करने के बाद इन पौधों को लगाने के लिए बड़े-बड़े गमले की आवश्यकता पड़ेगी। जिसके लिए आप बड़े गमले का इंतजाम कर लें।

10. अब तैयार मिट्टी को गमले में भर दे और पौधे को अच्छे पूरी गहराई में मिट्टी दबाकर लगा दें, इन कटिंग में लगे पत्तों को हटाने की जरूरत नहीं है। यह सूखने के बाद अपने आप ही निकल जाएंगे।

11. कटिंग लगाने के तुरंत बाद पानी का छिड़काव कर दें, और पानी का छिड़काव अच्छे से करें ताकि मिट्टी अच्छे से गीली हो जाए, अत्यधिक मात्रा में पानी ना भरें, वरना आपका पौधा सड़ भी सकता है।

12. 1 से 2 महीने बाद इन पौधों में, पुराने पत्ते झड़कर नये पत्ते निकल आएंगे।

13. तब फिर आप इसे सीधे धूप के संपर्क में रख सकते हैं।

14. पौधा बड़ा होने के बाद आप इसे अत्यधिक बड़े गमले में या फिर सीधे जमीन में लगा सकते हैं।

15. ध्यान रहे कटिंग लगाने के बाद इनमें जरूरत अनुसार पानी का छिड़काव करते रहें।

16. और ध्यान रहे कटिंग या बीज लगाने के बाद तुरंत सीधे धूप के संपर्क में ना लाएं। जब कटिंग से नये पत्ते निकल आए तब इसे आप सीधे धूप में रख सकते हैं।

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तो दोस्तों यह थी। Frangipani in Hindi के बारे में पूरी जानकारी हमें उम्मीद है। यह जानकारी आप लोगों को जरूर पसंद आया होगा। अगर पसंद आया हो तो इसे आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। धन्यवाद।

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